Tuesday, October 26, 2010

Ghagh Aur Bhaddari Ki Kahawatein(घाघ और भड्डरी की कहावतें )(11 to 15)

११. जो दूसरे के घर में रहता है, स्त्री के कहे पर चलता है और दूसरे गाँव में ईख बोता है, ये तीनो ही नष्ट हो जाते हैं |
१२. चैत्र में गुढ़, बैसाख में तेल, जेठ में राह, आषाढ़ में बैल, सावन में साग, भादों में दही, कुवार में करेला, कातिक में मठ्ठा, अघहन में जीरा, पौष में धनिया, माघ में मिश्री, और फाल्गुन में चना हानिकारक है |
१३. कुवार में गुढ़, कातिक में मुली, अघहन में तेल, पौष में दूध, माघ में घी वाली खिचढ़ी, फाल्गुन में सुबह उठ कर नहाना, और चैत्र में नीम लाभकारी होता होता है |
१४. चटकीली मटकीली स्त्री और चौंकने वाला बैल दोनों गृहस्थ के दुश्मन हैं |
१५. जिसकी पुत्र वधु ढीठ हो, कन्या घमंडी हो, पति निर्दयी हो, और घर में खाने के लिए अन्न न हो, वो स्त्री अभागिन है |

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