Friday, October 29, 2010

Ghagh Aur Bhaddari Ki Kahawatein(घाघ और भड्डरी की कहावतें )(26 to 30)

२६. आठ गाँव का चौधरी हो या बारह गाँव का राव, पर जो अपने काम न आये वो ऐसी तैसी में जाये |
२७. आम, नीबू और बनिया गला दबाने से ही रस देते हैं और कायस्थ, कौवा मुर्दे से भी रस लेते हैं |
२८. चोर, जुआरी, गंठ्कता और छिनाल स्त्री अगर सौ सौगंध भी खाए तो इनका विश्वास न करना चाहिए |
२९. छज्जे की बैठक बुरी होती है, परछाई की छाया बुरी होती है, इसी प्रकार निकट का चाहने वाला बुरा होता है जो नित्य उठकर बांह पकढ़ता है |
३०. जो घर में बैठे बैठे बातें बनाता है, उसकी देह पर न वस्त्र होता है न पेट में भात अर्थात वो गरीब हो जाता है |

No comments: